amruta's slate
Tuesday, December 8, 2009
two poems
२
सारीं हदें पार कर गई तेरी बेरुखी
कभी नम ,कभी सुखी पड़ी,
इन आंखों अब में चुभती हे तेरी हँसी ।
जलता है रोम-रोम तेरी उन झूठी-मीठी बातों से,
वफ़ा तो दूर,हमदर्दी दे गया होता,
सच न सही, झूठ तो नही बोल गया होता:
पर चोरी तुने की और फस मैं गया ।
१
1 comment:
Parthajeet Das
December 30, 2009 at 6:15 AM
kya leke aya tha,
kis par tera haq tha,
jo tera nahin uspar ghum kaisa?
Reply
Delete
Replies
Reply
Add comment
Load more...
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
kya leke aya tha,
ReplyDeletekis par tera haq tha,
jo tera nahin uspar ghum kaisa?